कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है
मगर धरती की बैचेनी को बस बादल समझता है।
तू मुझसे दूर कैसी है, मैं तुझसे दूर कैसा हूँ
ये तेरा दील समझता है या मेरा दील समझता है।
मुहब्बत एक अहसासों की पावन सी कहानी है
कभी कबीरा दीवाना था, कभी मीरा दीवानी है।
यहाँ सब लोग कहते हैं, मेरी आंखों में आँसू हैं
जो तू समझे तो मोती है , जो ना समझे तो पानी है।
मगर धरती की बैचेनी को बस बादल समझता है।
तू मुझसे दूर कैसी है, मैं तुझसे दूर कैसा हूँ
ये तेरा दील समझता है या मेरा दील समझता है।
मुहब्बत एक अहसासों की पावन सी कहानी है
कभी कबीरा दीवाना था, कभी मीरा दीवानी है।
यहाँ सब लोग कहते हैं, मेरी आंखों में आँसू हैं
जो तू समझे तो मोती है , जो ना समझे तो पानी है।
1 comment:
आगे भी देवनागरी में ही क्यों नहीं लिखते।
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